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क़िस्सों में हमने सुनी
है दानव होता
हिंसा के बीजो को राक्षस बोता
उसके विनाश हेतु फिर
है नायक आता
लेकिन वो भी वैसा खुद हो जाता है
उसे नीचे का अंत करके वो
वैसे ही तन जाए
क्रोध अग्नि में खुद जलकर
दानव ही बन जाए
जो ज़ोर से धरम करते हैं वो
शोर के बिना डरते हैं
पर शान अमन है बलशाली
एकता की लौ से मि अंधियारी
तेरा क्रोध तेरा दोष है
जंग जीत कभी मुस्कुराए
तू दुश्मन भी साथी बने
तू ऐसे कर अच्छाइयां
तेरा नाम चढ़े ऊँचाइयाँ
कू कर्मों की परछाइयाँ
ना मिट सके सच्चइयां
करके झगड़े प्रशोधन में जो जला
उसके दुःख का कोई अंत ना हो भला
नित मन धैर्य स्थापना
करुणा मन में जगना
आत्मा शांति सजन न डरना
सुख और दुख का ये सिला
वक़्त का लेखा ना ताला
अंत भला तो हो भला याद रखना
तेरा क्रोध तेरा दोष है
जंग जीत कभी मुस्कुराए
तू दुश्मन भी साथी बने
तू ऐसे कर अच्छाइयां
तेरा नाम चढ़े ऊंचाइयां
कू कर्मों की परछाइयाँ
ना मिट सके सच्चइयां
Riya Mukherjee
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