Lyrics
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
एक उम्र से हूँ लज्जत-ए-गिर्या से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिए आ
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिए आ
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को है तुझ से उम्मीदें
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को है तुझ से उम्मीदें
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिए आ
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिए आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
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