Sanat
हं पल कैसा पल पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
हम्म ख्वाहिश है इतनी सी यार
देर तक रुकना अबकी बार
प्यार के लम्हे हों हज़ार
उन्ही में सदियाँ जी लूँगा मैं
ओह पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
मटमैले पानियों में अक्स तेरा दिखता है
बारिश की बूंदा बांदी में पन्ने धुंधले लिखता है
जो होना है हो जाने दो तारों को सो जाने दो
साँसों को खो जाने दो ना
अब तेरे बिन मेरा
ज़िक्र ही गुम जाएगा
इस पल को कास के थाम लूँ हथेली से फिर निकल जाए ना
ओह पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
छुप्ता सुरज या बादल मंचला होने पागल
तुझको पुकारे हर पल यार
पत्तो पे बुंदे जैसे सुबह को ढूँढे जैसे
ढूँढू हर पल में तुझको यार
अब तो मिले ना मिले
खुदाया तुझको माना है
इश्क़ के आगे है झुका
आज ये पल भी दिवाना है
ओह पल कैसा पल
पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना हुं
JAVD KHAN, KUNAAL VERMAA, MOHSIN SHAIKH, PRASHANT INGOLE
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