Sanat
शाम से आँख में नमी सी है
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है
शाम से आँख में नमी सी है
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
इसकी आदत भी आदमी सी है
इसकी आदत भी आदमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
एक तसलीम लाज़मी सी है
एक तसलीम लाज़मी सी है
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है
JAGJIT SINGH
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