दिल बेक़सूर है कितना
पर है ये ज़रूर है फितना
जाने ये जलना सीखे न बुझना
मीठी सी जिद्द है सजना
ज़िद्द की हद्द है सजना
दिल बेक़सूर है कितना
पर है ये ज़रूर है फितना
जाने ये जलना सीखे न बुझना
मीठी सी जिद्द है सजना
ज़िद्द की हद्द है सजना
क्यूँ दिल बेज़ुबान है इतना
उसपे है गुमान भी उतना
जाने ये काटना सीखे न जुड़ना
मीठी सी जिद्द है सजना
ज़िद्द की हद्द है सजना (ज़िद्द की हद्द है सजना)
गुलमोहर की टहनी से
बिछडा सा पतझर की सोहबत में
ज़मीन पे बिखरा सा
है मनमौजी शोलों के दरिया में
शबनम सी बूँदों की
उम्मीद में उतरा सा
जितना बटोरे उतना ही खोये
उतना बिखेरे जितना पिरोये
दिल बेलगाम है जितना
अपना खुद ही गुलाम है उतना
जाने ये मरना सीखे न डरना (क्यूँ दिल बेज़ुबान है इतना)
मीठी सी जिद्द है सजना (उसपे है गुमान भी उतना)
ज़िद्द की हद्द है सजना (ज़िद्द की हद्द है सजना)
ज़िद्द की हद्द है सजना
A R RAHMAN, AMITABH BHATTACHARYA
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