ओ रसिया रसिया
बावली सी प्रीत मोरी अब चल कैसे पाये
आजा रसिया मोहे अंग लगा ले
बावली सी प्रीत मोरी अब चल कैसे पाये
आजा रसिया मोहे अंग लगा ले
अंग लगा ले अंग लगा ले
अंग लगा ले अंग लगा ले
तन एक जान एक अपना हो जहान एक
ऐसे लिपटे रुह से रह के हो जाए ईमान एक
ओ गेसुओं सी काली रतिया अंधेरो पे काँपे बतिया
साँवली सी साँसे मोरी अरज सुनाये
आके मेरी श्वेत प्रीत पे रंग सजा दे
बावली सी प्रीत मोरी अब चल कैसे पाये
आजा रसिया मोहे अंग लगा ले
बावली सी प्रीत मोरी अब चल कैसे पाये
आजा रसिया मोहे अंग लगा ले
अंग लगा ले अंग लगा ले
अंग लगा ले अंग लगा ले