हन मुझे याद हैं मैं ही कहाँ था तुझसे
मेरे महबूब तेरे प्यार पे मेरे हक़ हैं
अब ये आलम हैं के दिल पुच्छ रहा हैं तुझसे
आए मेरी जान तुझे प्यार करूँ या ना करूँ
मैं तुझे प्यार करू भी तो बता कैसे करूँ
तेरी पहचान करूँ भी तो बता कैसे करूँ
गुफ्तगू शेरी में ना लहज़ा में कशिश पहली सी
दिल में धड़कन ना बदन में वो हरा रक्त बाकी
क्या वही तू हैं जिसे टूट के चाहा मैने
कॉआन था वो के जिसे प्यार किया था मैने
वो भी दिन थे के बिच्छाद ने का तस्वूर भी ना था
रास्ते मेरे तेरी राह से जेया मिलते थे
हम सफ़र तू था मगर साथ चला हैं माजी
तेरी यादे हैं मेरे साथ के जींदा लाषे
राख होता ही गया अपनी मोहब्बत का वजूद
क्या इसी राख में चिंगारी दबी हैं कोई
इन सवालात के शोलो में ना जल जाऊं कहीं
बस इसी सोच के हम राह मैं चल देती थी
कुच्छ कदम चल के वही लॉआट के आ जाती थी
फिर उससी माजी के दरियाँ में समा जाती थी
सिलसिला चलता रहा एक ज़माने से भी
ना कोई राह ना मंज़िल ना ठिकाना कोई
आख़िर ाश्क़ टूट गया प्यार की आज़मात का भरम
सामना सच का हुआ सच ने सवालात किए
जब मूहोब्बत ही नही हक़ की तमन्ना क्यूँ होए
क्यूँ तबीयत को शराबो का तलबगार करूँ
खूब मालूम हैं दिल को की खट्टा किस की हैं
क्यूँ यकीन तुज पे करूँ खुद को गुनेहगार करूँ
एक ख्वाइश हैं की वो दुनिया में तकलीफ़ करूँ
दिल धड़कते हो जहाँ रूह जहाँ ज़िंदा हो
सारे ज़रे से मूहोब्बत हो नुमाया जिस जहाँ
दास्तान दिल के बयान करने को आँखे हो ज़ुबान हो
प्यार की दुनिया से वाकेफ़ तो नही तू लेकिन
जाने क्यूँ आज मुझे तेरा ख़याल आया हैं
बेसबब तुझसे जो रिश्ता हैं उसी की खातिर
मेरे होतो पे मेरे दिल का सवाल आया हैं
आए मेरी जान तुझे प्यार करूँ या ना करूँ
आए मेरी जान तुझे प्यार करूँ या ना करूँ