सुनता आया हूँ तेरी दस्तके मुद्दत से मगर
वक़्त आया हैं की मैं भी तुझे संजाऊं
काश तू समझे के मैं रेज़ मोहब्बत क्या हैं
तुझको मालूम तो हो दिल की हक़ीकत क्या हैं
शहेर बे हिसमें दिल की ज़रूरत क्या हैं
तू भी देखे के ये दुनिया ए मोहब्बत क्या हैं
ऐसी दुनिया के जहाँ असरारे मोहब्बत हैं आया
जो नज़र ना देख ना पाए वो नज़ारे हैं यहाँ
ये वो दुनिया के जहाँ सुदो जीयाड हैं ना आना
तू भी इश्स दुनिया का एक बार नज़ारा करले
मेरा डॉवा हैं के मुझसे हैं ये दुनिया कायम
दिल्ली के ज़ेरे असर आज भी ये होता हैं
दर्द एक दिल में है पर और कोई रोता हैं
दिल से दिलके जो मुरज़िं हैं तुझे क्या मालूम
दिल के आहों में क़यामत का असर होता हैं
तू चाहता हैं फकत तेरा अस्ख़ हो जौन
खुद अपने आप से मैं डोर कैसे हो जौन
मेरा वजूद आज़ल से हैं मुक्टलीफ़ तुझ से
मैं तेरी सोच का मोहताज़ कैसे हो जौन
समजना काम हैं तेरा ज़रा समजत्ो सहीं
बगीर दिल के ज़माने में कुच्छ हुआ हैं कभी
मेरे बगैर गाज़ल कोई कह ना पाएगा
किसी के प्यार में फिर कॉआन सर जुकाएगा
किसी की याद में कब कोई गुनगुनाएगा
गामो खुशी में कोई फ़र्क रह ना जाएगा
मुझे यकीन हैं हक़ीकत समाज चुका हैं तू
तुझे पता ही ना थी दिल की एहमियत अब तक
मेरे वजूद से मुनटीर तू हो नही सकता
मेरे जुनून की जीद से बचेगा तू कब तक
मेरे जुनून की जीद से बचेगा तू कब तक