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हर शाम शाम ए गम है
हर रात है अंधेरी
अपना नही है कोई
क्या जिंदगी है मेरी
हर शाम शामे गम है
गम सहते सहते गम की
तस्वीर बन गया हू
तस्वीर बन गया हू
जा आए बहारे दुनिया
हालत ना पुच्छ मेरी
क्या जिंदगी है मेरी
हर शाम शामे गम है
सामने जिंदगी में
कुछ भी नही बचा है
कुछ भी नही बचा है
एक दर्द रह गया है
और एक याद तेरी
क्या जिंदगी है मेरी
हर शाम शामे गम है
हर रात है आधेरी
अपना नही है कोई
क्या जिंदगी है मेरी
हर शाम शामे गम है
ख़ुसीयो का एक दिन भी
आया ना जिंदगी में
आया ना जिंदगी में
पचहता रहा हू मैं तो
दुनिया में आके तेरी
क्या जिंदगी है मेरी
हर शाम शामे गम है
हर रात है अंधेरी
अपना नही है कोई
क्या जिंदगी है मेरी
हर शाम शामे गम है
Hafiz Khan, Shewan Rizvi
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