इक बंजारा इक तारे पर कब से गावे
जीवन है इक डोर डोर उलझे ही जावे
आसानी से गिरहें खुलती नहीं है
मन वो हठीला है जो फिर भी सुलझावे
राही का तो काम है चलता ही जावे
साइयाँ वे साइयाँ वे
सुन सुन साइयां वे
साइयाँ वे साइयाँ वे
तिनका तिनका चिड़िया लावे
ऐसे अपना घर वो बनावे
ज़र्रा ज़र्रा तू भी जोड़ के इक
घिरौन्दा बना
बूँद बूँद है बनता सागर
धागा धागा बनती चादर
धीरे धीरे यूँ ही तू भी अपना
जीवन सजा
सींचता है यहाँ जो बगिया को
वही फूल भी पावे
राही का तो काम है चलता ही जावे
साइयाँ वे साइयाँ वे
सुन सुन साइयां वे
साइयाँ वे साइयाँ वे
दिन है पर्वत जैसे भारी
रातें बोझल बोझल सारी
तू ये सोचता है राह कैसे
आसान हो
सारी अनजानी है राहें
जिनमें ढूँढें तेरी निगाहें
कोई ऐसा पल जो आज या कल
मेहरबान हो
घूमें कब से डगर डगर
तू मन को ये समझावे
राही का तो काम है चलता ही जावे
साइयाँ वे साइयाँ वे
साइयाँ साइयाँ वे
साइयाँ वे साइयाँ वे
इक बंजारा इक तारे पर कब से गावे
जीवन है इक डोर डोर उलझे ही जावे
आसानी से गिरहें खुलती नहीं है
मन वो हठीला है जो फिर भी सुलझावे
राही का तो काम है चलता ही जावे
साइयाँ वे साइयाँ वे
सुन सुन साइयां वे
साइयाँ वे साइयाँ वे