माई म्हारी बरवाड़ा की चौथ
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Tu Hi Kitab Me Dikh
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थारा ढाई अक्षर का लव न
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जमानत हाईकोर्ट सु मिलगी नरेश मीणा न
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Mon Roto Chodi Jaan
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Tu Gam Hi Gam Degi
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छोरी थारा मुंडा में आव बास
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मोसू काई लेब प्यार कर यो चो पसन्द थार दूसरों चो तो
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ज्यान मोन धोखो देगी र
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कोयल उड़ ज्यागी चल ज्यागी पराया के साथ म म्हारी
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फेरा कोई ओर सु खाली दे धोखो र थारा न
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मत पहर सलवार करा शादी र जाबाली
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म्हारी नस नस में दौड़ छ दीवानी थारा प्यार को पानी
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शक मारी भाभी के होगो छत सु झाला देबाली
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कणिया के नीच कांच कबूतर देख ल मुंडो
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