मेरे मुसाफ़िर चलो
ज़रा बीते पल से आगे झाँक लें
जो ना मिल सका
उसे ज़िन्दगी का हासिल क्या कहें
सुन रहा हूँ गूँज धड़कन की
कैसे दिल को पत्थर मान लु
कह रही है साँसों की क़सम
बेखबर जिंदा हो तुम
ओ हो
जिंदा हो तुम
जिंदा हु में
जिंदा हु में
ओ हो
जिंदा हो तुम
जिंदा हु में
जिंदा हु में
दायरों में घूमते हो
किस घड़ी को ढूंढ़ते हो
एक पल को ठहर जाना
जो कभी फुर्सत मिले तो
किन से शिकवा है ग़मों का
किन से हैं खुशीआं जुड़ी
जैसे भी गुज़रे थे दिन वो
ज़िन्दगी में अब नहीं
आज फिर सांसों की धुन है
आज फिर जिंदा हो तुम
ओ हो
जिंदा हो तुम
जिंदा हु में
जिंदा हु में
ओ हो
जिंदा हो तुम
जिंदा हु में
जिंदा हु में
ओ हो
जिंदा हो तुम
जिंदा हु में
जिंदा हु